Heart Attack Se Khatarnak Hai Cardiac Arrest: हार्ट अटैक और कार्डिएक अरेस्ट में अंतर
जब जीवन और मृत्यु का सवाल होता है तब हर एक सैकेंड मायने रखता है। यही वह समय होता है जिसमें व्यकित को तय करना होता है कि उसे आगे क्या कदम उठाना है।
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Heart Attack Aur Cardiac Arrest Mein Antar |
Heart Attack Se Khatarnak Hai Cardiac Aresstहार्ट अटैक से खतरनाक है कार्डिएक अरेस्ट
जब हमारे पास किसी मरीज के लिए बेहतरीन विकल्प चुनने के लिए एक घंटे का समय होता है तब हम बहुत कुछ कर सकते हैं, लकिन जब किसी का जीवन बचाने के लिए सिर्फ कुछ सैकेड का समय बचा हो तब मामला बेहद अलग होता है। इन दोनों ही स्थितियों में हमारे द्वारा उठाया गया कदम बेहद महत्वपूर्ण साबित होता है। जीवन बचाने के लिए उपलब्ध गोल्डेन ऑवर और गोल्डेन सैकेंड्स के बीच का अंतर हार्ट अटैक होने और किसी को सडेन कार्डिएक अरेस्ट होने के मामले में भी होता है।
इमरजेंसी मेडिसिन में गोल्डेन ऑवर
गोल्डेन ऑवर का कॉन्सेप्ट उन मामलों पर लागू होता है जिसमें मरीज को कोई गम्भीर चोट आई हो अथवा कोई अन्य मेडिकल इमर्जेंसी हई हो
इसके बाद का पहला एक घंटा बेहद महत्वपूर्ण होता है, जिसमें सही इलाज और प्रबंधन से मरीज की जान अथवा उसके शरीर के अंगों को खराब होने से बचाया जा सकता है। हालांकि कोई भी कदम पत्थर की लकीर साबित हो सकता है, ऐसा नहीं कहा जा सकता है, लेकिन ट्रॉमेटिक इवेंट के बाद पहले एक घंटे के भीतर मरीज को सही मेडिकल देखभाल मिल जाए तो उसकी जान बचने के चांसेज कई गुना बढ़ जाते हैं।
हार्ट अटैक के मामलों में अक्सर यह सलाह दी जाती है कि ऐसा होने के बाद पहले एक घंटे के भीतर मरीज को इमरजेंसी केयर मिलनी चाहिए।
लेकिन कार्डिएक अरेस्ट के मामले में ऐसा नहीं आई कहा जा सकता है। हो। पूर्ण से हार्ट अटैक और कार्डिएक अरेस्ट के बीच भ्रम हमारी दुनिया में, हार्ट अटैक और कार्डिएक अरेस्ट के मामलों के बीच अंतर स्पष्ट होना चाहिए। अधिकतर लोग हार्ट अटैक और कार्डिएक अरेस्ट को एक ही बात समझते हैं। लेकिन यह जानना बेहद जरूरी है कि कई बार ऐसी मासूमियत अनदेखी का कारण भी बन जाती है, इसलिए दोनों के फर्क को बखूबी समझें। हार्ट अटैक और कार्डिक अरेस्ट दिल से जुड़ी दो अलग समस्याएं हैं।
हार्ट अटैक और कार्डिएक अरेस्ट में अंतर
हार्ट अटैक
किसी व्यक्ति को हार्ट अटैक तब होता है जब उसके हृदय तक ऑक्सिजन वाले रक्त का प्रवाह सही ढंग से नहीं होता है, जहां से रक्त पम्प होकर शरीर के अन्य हिस्सों तक पहुंचता है। हार्ट अटैक के दौरान, दिल की रक्त को पम्प करने की क्षमता आशिक रूप से कम हो जाती है। हार्ट अटैक होने पर भी दिल रक्त को पम्प करता रहता है लेकिन इसकी गति धीमी हो जाती है। हार्ट अटैक होने पर व्यक्ति कुछ मिनटों अथवा कुछ घंटों के लिए भी चल सकता है और जीवित भी बच सकता है। लेकिन इसके लिए जरूरी है कि मरीज को जितनी जल्दी हो सके, इमरजेंसी केयर में ले जाया जाए क्योंकि शरीर के अंगों और दिमाग में भरपूर मात्रा में रक्त संचार न हो पाने के कारण इन अंगों में गम्भीर डैमेज हो सकता है। ऐसे में स्ट्रोक हो सकता है और यहां तक कि सडेन कार्डिएक अरेस्ट भी हो सकता है।
कार्डिएक अरेस्ट
अब यह सवाल उठता है कि आखिर कार्डिएक अरेस्ट क्या है?
कार्डिएक अरेस्ट अचानक हो सकता है, बिना किसी अलर्ट अथवा वॉर्निंग साइन के। कार्डिएक अरेस्ट होने पर मरीज का दिल काम करना बंद कर देता है क्योंकि ऐसे में हार्ट के इलेक्ट्रिकल सिस्टम में समस्या हो जाती है और पम्पिंग की प्रक्रिया बाधित होती है। इसके परिणामस्वरूप ब्रेन व शरीर के अन्य हिस्सों में रक्त प्रवाह पूरी तरह से रुक जाता है। कुछ ही सैकेंड के भीतर, मरीज अचेत हो जाता है और उसके पल्स गायब हो जाते हैं और अगले कुछ ही मिनटों में मरीज की मौत भी हो सकती है।
हार्ट अटैक और कार्डिएक अरेस्ट के बीच अंतरः हार्ट अटैक उन तमाम कारणों में से एक है जो कार्डिएक अरेस्ट के लिए जिम्मेदार होते हैं। खराब कार्डियोवस्कुलर हैल्थ, हार्ट डिजीज, एरिदिया अथवा अनियमित हार्टबीट उन तमाम अन्य कारणों में शामिल हैं जिनके चलते हार्ट का इलेक्ट्रिक सिस्टम प्रभावित होता है और कार्डिएक अरेस्ट की स्थिति उत्पन्न हो सकती है।
कार्डिएक अरेस्ट में मिलता है सिर्फ गोल्डेन सैकेंडस
हार्ट अटैक के मामले में जहां मरीज के अटेंडेंट अथवा रेस्क्युअर के पास मरीज को हॉस्पिटल ना ले जाने के लिए गोल्डेन ऑवर होता है, लेकिन कार्डिएक अरेस्ट के मामले में व्यक्ति के पास और कुछ महत्वपूर्ण सैकेड्स ही होते हैं। ऐसे में, है। कार्डिएक अरेस्ट के लक्षणों को पहचानकर तुरंत एक्शन लेना बेहद जरूरी होता है।
जब एक व्यक्ति को कार्डिएक अरेस्ट होता है तब तुरंत एम्बुलेंस को बुलाना चाहिए और साथ ही कार्डियोपल्मनरी रीससिटेशन, सीपीआर भी करना चाहिए। सीपीआर में मरीज की छाती पर हाथों से तेज दबाव बनाया जाता है, इस दौरान प्रति मिनट 120 कम्प्रेशन की स्पीड होनी चाहिए।
ऐसा तब तक करना चाहिए जब तक कि मेडिकल सहायता न पहुंच जाए। सीपीआर नहीं मिलने से बेहतर है किसी भी तरह का सीपीआर दे देना।
जैसा कि पहले बताया जा चुका है, हार्ट अटैक और कार्डिएक अरेस्ट एक चीज नहीं होती है और इसका एक समान प्रबंधन नहीं हो सकता है इसमें हमारी यह जिम्मेदारी बनती है कि इन दोनों के बारे में सम्पूर्ण जानकारी रखें न कि इन दोनों स्थितियों को इनोसेंस और इग्नोरेंस का दर्जा देकर लापरवाही करें, खासतौर से कार्डिएक अरेस्ट की स्थिति में, जहां हमें जीवन बचाने के लिए कुछ गोल्डेन सैकेड्स ही मिलते हैं।
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